मैं उन दिनों की बात करती हूँ
जब कुछ ठिक नही था..
मैं अब भी उन दिनों को याद करती हूँ
क्या बात थी, जब थोडा बहुत ठिक नही था..
तब जो था, ठिक नही था..
अब ठिक है, यह सोचते सोचते
फ़िर वही ठिक था, ऐसा क्यों सोचती हूँ मैं!!!!!
जब के सब अपने अपने समय में
थोडा कम थोडा ज्यादा सब ठिक ही था...
छाया थोरात
६.१२.२०१२
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