हमको तुम्हारे इश्क़ ने क्या-क्या बना दिया
जब कुछ न बन सके तो तमाशा बना दिया
जब कुछ न बन सके तो तमाशा बना दिया
काशी से कुछ ग़रज़ थी न क़ाबे से वास्ता
हम ढूँढने चले थे मोहब्बत का रास्ता
देखा तुम्हारे दर को तो सर को झुका दिया
जब कुछ न बन ...
हम ढूँढने चले थे मोहब्बत का रास्ता
देखा तुम्हारे दर को तो सर को झुका दिया
जब कुछ न बन ...
दिल की लगी ने कर दिया दोनों को बेक़रार
दोहरा के दास्तान-ए-मोहब्बत फिर एक बार
मजनूं हमें और आपको लैला बना दिया
जब कुछ न बन ...
दोहरा के दास्तान-ए-मोहब्बत फिर एक बार
मजनूं हमें और आपको लैला बना दिया
जब कुछ न बन ...
निकले तेरी तलाश में और खुद ही खो गए
जब कुछ न बन पड़ी तो दीवाने हो गए
दीवानगी मे फिर तेरा कूंचा दिखा दिया
जब कुछ न बन ...
जब कुछ न बन पड़ी तो दीवाने हो गए
दीवानगी मे फिर तेरा कूंचा दिखा दिया
जब कुछ न बन ...
जलवों की भीख फेंकने वाले की खैर हो
पर्दा हटाके देखने वाले की खैर हो
बन के भिखारी इश्क़ ने...
पर्दा हटाके देखने वाले की खैर हो
बन के भिखारी इश्क़ ने...
चित्रपट: एक मुसाफिर एक हसीना
गायक: मोहम्मद रफी
गायक: मोहम्मद रफी
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