जाना...
मुहब्बत का ये असर हुआ है 'जाना'
इस लगी को अब बुझाकर ही जाना...
हद से ज्यादा तुम्हें चाहते है 'जाना'
कुछ तो हद पार कर के चले जाना....
थक के चूर अब हो गए है 'जाना'
वही ढाई लब्ज़ कहकर चले जाना....
है वक्त कम तो क्या हुआ 'जाना'
आज रुक जाओ कल चले जाना...
कुछ भी कहकर 'जाना'
इस दिल में ही रह जाना...
तू जिद तो कर 'जाना'...
मुझे बस हार है जाना ...
है लाजमी के हर तरफ तेरा नज़र आना
गर ख़्वाब हो 'जाना'... तो रातों में ठहर जाना....
बनके नींद मेरी आ भी जाओ 'जाना'
या मेरे ख़्वाबो को बना लो आशियाना...
छाया थोरात...
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